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Tuesday, August 1, 2017

सोच


सुनो, तुम अक्सर मुझसे मिलने आया करो ना
अच्छा लगता है मुझे तुम्हारे साथ वक़्त बिताना
हाथों में हाथ ले कर सड़क किनारे छाँव में चलना
तुम्हारा मुझे नज़र बचा कर देखना
और एक छोटी सी बात को भी अपने ही ढंग में बयां करना
अच्छा लगता है मुझे तुम्हारे साथ अठखेलियां करना
तुम्हारे दिए उस कॉफ़ी के मग में छपी अपनी तस्वीर देखना
तुम्हारे हर बिखरे लफ्ज़ से खुद को समेट लेना
किसी संगीत की धुन में तुम्हे याद कर लेना
और फिर ख्वाबों में सदियों तलक बातें करना
अच्छा लगता है मुझे तुम्हे अपनी रूह में रखना
पानी पड़ने पर मिट्टी की खुशबु तो महसूस की होगी ना तुमने कभी?
कुछ ऐसा ही हाल होता है मेरे दिल का तुमसे मिलने पर
तुम्हे हर्फ़ हर्फ़ अपने होठों में रख लेना
अच्छा लगता है मुझे तुम्हे बाहों में भर लेना
दर्द में जब भींच लेते हो तुम मुझे अपने सीने में कहीं
उस लम्हे धड़कनों के शोर बेचैन कर देते हैं मुझे
हूँ किसी अपने की बाहों में खुद को कुछ ऐसी तसल्ली देना
अच्छा लगता है मुझे तुम्हें अपनी मुहब्बत कहना 

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